(अब तक आपने देखा कि किसी खास मकसद से समीर ने मीरा को स्वप्निल के अंडर काम करने के लिए चुना है. जहां पहले ही दिन स्वप्निल मीरा को डाॅमिनेट करने की कोशिश करता है वही मीरा भी उसे बता देती है कि वह इतनी आसानी से किसी की बातों में आने वालों में से नहीं है अब आगे.....)
मीरा अपने आप से बातें करते हुए जाती है "अब क्या कर दिया मैंने, जो भी कहा वही तो किया था, पता नहीं इन को क्या चाहिए हर चीज से प्रॉब्लम है खडूस कहीं के, सही कहते हैं डॅड सूरत अच्छी होने से इंसान की सीरत अच्छी नहीं होती अच्छा हुआ जो आज का दिन खत्म हो गया इससे ज्यादा मैं इन्हे नही झेल सकती"
इसी तरह तकरार के साथ पहला दिन खत्म हो जाता है मीरा घर पहुंचती है. घर उसके पापा उसका पहले से इंतजार कर रहे होते हैं.
सुरेश पटेल : हेलो बेटा कैसा था पहला दिन ?
मीरा : मत पूछिए डॅड समाज में भिन्न भिन्न प्रकार के लोग होते हैं यह बात मैं आज समझ गई. पता है आज मैंने कितना सारा काम किया और अभी भी रात भर जागकर करना पड़ेगा. सही कहते हैं आप के प्राइवेट फर्म में जॉब करना कोई आसान काम नहीं है पर हम भी सस्ती चीजो का शौक नहीं रखते समझ गए ना आप ?
सुरेश पटेल : हां बेटा मैं नहीं समझुंगा तो कौन समझेगा अब तुम जाओ फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगाने के लिए कहता हूं.
मीरा : थैंक्यू डॅड बाय.
मीरा अपने रूम में फ्रेश होने के लिए चली जाती है.
सुरेश पटेल : पता नहीं मीरा अभी के लिए तो मैं यह बात छोड़ रहा हूं पर लगता है जल्द ही ग्लोबल के सी ई ओ से बात करनी पड़ेगी. खैर देखते हैं.
उसके बाद मीरा ने रात भर काम किया और सुबह जल्दी ऑफिस के लिए चली गई. ऑफिस जाने के बाद मीरा फाइल रखने स्वप्निल के कैबिन में जाती है वहां ताजे रखे फूल देखकर उन्हें पाॅट में अरेंज्ड करने लग जाती है तभी स्वप्निल केबिन के अंदर आता है.
स्वप्निल : तुम सुबह सुबह यहां क्या कर रही हो?
मीरा : पहले आपको वेरी गुड मॉर्निंग सर! आप लोगों में सुबह सुबह गुड मॉर्निंग विश नहीं करते ? सीधे सवाल जवाब करते हैं?
स्वप्निल : गुड मॉर्निंग हो गया तुम्हारा अब बताओ यहां क्या कर रही हो?
मीरा : आपने कहा था ना आपके आने से पहले फाइल आपके टेबल पर होनी चाहिए वही रखने आई थी, तो सामने फूल पड़े थे तो मैंने बदल दिए.
स्वप्निल : ठीक है अब जाओ यहां से.
मीरा : सर आपमे थैंक्यू भी नहीं बोलते क्या?
स्वप्निल : देखो मैंने तुम्हें फूलों को वहां रखने के लिए नहीं कहा था, तुमने खुद किया तो मैं क्यों तुम्हें थैंक यू बोलू ?
मीरा : सर मेरा मतलब फाइल से था बट कोई बात नहीं.
स्वप्निल ऑलरेडी इरिटेट हो चुका होता है तभी पीछे से समीर कैबिन में एंट्री लेता है
समीर : गुड मॉर्निंग मीरा.
मीरा : गुड मॉर्निंग सर.
स्वप्निल की तरफ पीछे मुड़कर देखने के बाद मीरा केबिन से बाहर चली जाती है
स्वप्निल : सच में अब सुबह सुबह आप ही बाकी है आ जाइए.
समीर : सर आपमे थैंक्यू भी नहीं बोलते क्या?
स्वप्निल : हो गया या और कुछ बाकी है, समझ गया तुमने सारी बाते सुनली है. अब सुबह-सुबह आने की वजह बताएंगे आप?
समीर: मतलब अब मैं अपने दोस्त के कैबिन में बाते या नाश्ता करने नहीं आ सकता ????
स्वप्निल : कैसा दिन है आज का सब मुझे ऐसा फील करवा रहे हैं जैसे मैं ही विलेन हू.
समीर : तो तुझे हीरो बनना है?
स्वप्निल : मुझे बस नॉरमल इंसान बने रहना है एक तू पागल दूसरी वह पागल तुम दोनों के बीच कहीं मैं भी पागल ना हो जाऊं!!!!
समीर : पागल के बारे में एक खबर दू ?
स्वप्निल : अभी नहीं मुझे अभी मीटिंग के लिए रेडी होना है और आपकी भी तो मीटिंग है ना ?
समीर : हां मैं तो इसके बारे मैं भूल ही गया था सब तेरी वजह से चलो लंच में बात करते हैं बाय
स्वप्निल : हां सही कहा सब मेरी वजह से बहुत अच्छे चलो
उसके बाद दोनों काम पूरा कर मीटिंग के लिए चले जाते हैं और दोपहर के बाद ही मीटिंग खत्म होती हैं और इस बार दोनों समीर के कैबिन में बातें करते बैठते हैं.
समीर : तो अब क्या सोचना है तेरा उसके बारे में?
स्वप्निल : काम मुझे उसका काफी पसंद आया है तूने सच कहा था मेरे डिपार्टमेंट में उसके आने से काफी मदद मिलेगी मुझे. काफी होशियार है और काफी मेहनती भी.
समीर : और काफी अमीर भी है
स्वप्निल : मतलब ?
समीर : कल मैंने मीरा के बारे में थोड़ी सी जांच की तो मुझे पता चला कि वह शान फैब्रिकेटर्स वाले सुरेश पटेल की इकलौती बेटी मीरा पटेल हैं .
स्वप्निल : काफी दिलचस्प है बाप की इतनी बड़ी कंपनी छोड़ के छोटी कंपनी में काम करने का क्या मतलब हो सकता है ? तुझे यकीन है वो वही है
समीर : हां बिना सबूत के में कभी नहीं बोलता. पहली बार मिस्टर हुड्डा ने उसका रिज्यूम देखा था तभी मुझे थोड़ा डाउट गया था क्योंकि वह काफी चिंता में लग रहे थे लेकिन फिर उन्होंने कहा कि वह सबको शॉर्टलिस्ट करेंगे और मुझे भेज दिया बाहर. 2 दिन बाद आकर खुद बोले कि उसे सिलेक्ट कर लो.
स्वप्निल : उसने तुझे ये बात इंटरव्यू में नहीं बताई थी क्या?
समीर : नहीं वरना मैं उसे वहीं पर रिजेक्ट कर देता. उसे बुलाकर पूछे क्या उसने ऐसा क्यों किया? बुलाता हूं रुक.
समीर मीरा को अपने केबिन में बुलाता है
समीर : मीरा मैं कुछ पूछूंगा तो सच बताओगी ?
मीरा : जी सर पर सच में वो रिपोर्ट मैंने ही बनाई थी कल पूरी रात तक जाकर मैंने उसे पूरा किया और आज सुबह भी मैं जल्दी उठकर यहां आकर मैंने वह रिपोर्ट रखी सर के टेबल पर
स्वप्निल : कम से कम पहले उसे अपनी बात तो बताने दो तुम अपना एक्सप्लेनेशन पहले ही बिच मे क्यों डाल देती हो
समीर : शांति रखो दोनों मीरा तुम्हारे डॅडी का नाम क्या है?
मीरा : सुरेश पटेल
समीर : वो क्या काम करते हैं?
मीरा : वह अपने कंपनी के एमडी है.
समीर : अच्छा उनकी कंपनी का नाम क्या है?
मीरा : वो... वो .... शान फैब्रिकेटर्स.
समीर : ये बात पहले बताना जरूरी नहीं समझा.
मीरा : मुझे माफ कर दीजिए सर लेकिन मुझे लगा कि आप मुझे यह जानकर रिजेक्ट कर देंगे.
समीर : एक बात बताओ तुम्हें अपने पापा की कंपनी क्यों नहीं ज्वाइन करनी.
मीरा : वह एक्चुअली मुझे अपनी अलग पहचान बनानी है शान फैब्रिकेटर्स जैसे बड़े नाम से जुड़ने से पहले मैं कुछ अलग एक्सपीरियंस लेना चाहती हूं, मैं चाहती हूं कि कोई यह न समझे कि सिर्फ परिवार की वजह से मुझे इतनी बड़ी पोस्ट मुफ्त में मिली है सबको दिखाना चाहती हूं कि मैं एक्चुअली इसके लायक हूं.
स्वप्निल : तुम बेवकूफ हो! हम हमारी गलतियों से ही सीखते हैं तुम अगर अपने फॅर्म में काम करोगी तो तुम्हें पता चलेगा कि तुम उसके लायक भी हो या नहीं तुम अगर किसी छोटी फॅर्म में काम करोगी तो तुम्हें कभी पता नहीं चल पाएगा कि क्या सीखा और क्या नहीं..
मीरा : आप मुझ में हमेशा नेगेटिव ही क्यों देखते हैं जहां आपको मेरा बड़ी फॅर्म जॉइंट करना सही लगता है वही मेरे हिसाब से एक्सपीरियंस के लिए छोटी फॅर्म से ज्यादा और कोई चीज जरूरी नहीं है एक बड़ी फॅर्म में आपको सब बातें बनी बनाई मिल जाएंगी वही छोटी कंपनी में आपको हर बारीकी पर खुद से ध्यान देना पड़ेगा जो आपके लिए बेवकूफी है उसे मैं अपना स्वाभिमान केहती हू. मुझे माफ कीजिए लेकिन मुझे काम है क्या मैं जा सकती हूं समीर सर
समीर : तुम जा सकती हो और सुनो तुम्हारी बड़ी कंपनी से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं पहले भी जानता था कि ग्लोबल के लिए तुमसे अच्छा ट्रेनिं कोई नहीं मिलेगा.
मीरा को यह सुनकर काफी खुशी होती है समीर को स्माइल देकर और स्वप्निल को एक गुस्से वाला लुक देखकर वह केबीन से बाहर चली जाती है.
स्वप्निल : देखा देखा तूने उसका एटीट्यूड!
समीर : हां पर शायद तू ठीक से नहीं देखता वो खूबसूरत है!
स्वप्निल : क्या! हेलो तू शादीशुदा है यह भूलना मत !
समीर : पर मैं तो तेरे लिए बात कर रहा था !
स्वप्निल : इसे मैं 1 दिन ना झेलू तो उम्र भर इसके साथ रहना नामुमकिन है मेरे लिए.
समीर : अच्छा पर मेरा मतलब तो एक रात से था पर कोई बात नहीं.
स्वप्निल गुस्सा होकर केबीन से बाहर चला जाता है.
समीर : तू सोच ना सोच दोस्त पर अर्फेक्ट तो वो तुझे करती है और यह बात तू भी काफी जल्द समझेगा.
एक धागे के दो अलग छोड की तरह बर्ताव करने वाली दो जिंदगियां क्या एक दूसरे से कभी मिल पाएंगे या इसी धागे में उलझे हुई रह जाएंगे...........